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सुन्दरता एक खोखली दिवार

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"सुंदरता" शब्द मात्र नहीं है, यह आज की दुनिया में लोगों की ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है। हम सभी, चाहे अनजाने में ही सही, सुंदर दिखने और दूसरों को सुंदर नजर आने के लिए अनेक चीज़ों का सामना करने को तैयार हो जाते हैं। अगर आज किसी से पूछा जाए कि जीवनसाथी में क्या चाहिए, तो अधिकतर लोग यही कहेंगे कि हमें एक सुंदर जीवनसाथी चाहिए। सोशल मीडिया के इस दौर में सुंदरता की परिभाषा ही बदल गई है। अगर आप मोटे हैं या आपका रंग गहरा है, तो समाज आपको सुंदर मानने से इंकार कर देता है। यह मैं नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन वीडियोस बताते हैं। इंस्टाग्राम पर स्क्रॉल करते हुए आपने भी शायद कई बार ऐसे वीडियो देखे होंगे, जो यह दिखाते हैं कि आपकी ज़िंदगी गोरा रंग और अच्छी बॉडी हासिल करने के बाद ही बदल सकती है। लेकिन क्या सच में सुंदरता का यही मतलब है? या इससे भी भयानक कुछ और है?  आज हम ऐसे ऐप्स का उपयोग करने लगे हैं, जो हमें वर्चुअल मेकअप के जाल में फंसा रहे हैं। कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स और कॉस्मेटिक्स की दुकानें भी हमें गोरा बनाने का खोखला सपना बेच रही हैं। इन सबका नतीजा यह

काश मैं उस वक्त समझ जाती

काश मैं उस वक्त समझ जाती - ये पंक्ति आपने कई बार लोगों के मुंह से सुनी होगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सही वक्त पर सही बात समझना इतना मुश्किल क्यों होता है ? बचपन से लेकर अब तक मैंने लोगों को सड़कों पर प्रदर्शन करते देखा है — चाहे वो निर्भया केस हो या कोलकाता रेप केस में। लोग पहले भी सड़क पर उतरे थे , आज भी उतर रहे हैं , और शायद आगे भी ये सिलसिला चलता रहेगा। हमारे देश में हर दिन कोई न कोई बेटी उन दरिंदों की हवस का शिकार बनती है , जो अपने अंदर की आग को शांत करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। अखबार के पन्नों पर बलात्कार के आंकड़े देखना आसान हो सकता है , लेकिन उन बलात्कारियों को सजा दिलवाना शायद सरकार के लिए उतना ही मुश्किल हो जाता है। हमारे देश में न जाने कितने केस ऐसे हैं जो दबे पड़े हैं , जहां महिलाएं हर दिन उत्पीड़न का सामना करती हैं , लेकिन समझ ही नहीं पातीं कि उनके साथ क्या हो रहा है। आज जब किसी महिला के साथ हुए हादसे के बारे में हम सुनते हैं , तो अपने गुस्से को सोशल मीडिया पर पोस्ट या वीडियो डालकर अपना विरोध जताते हैं , लेकिन असल ज़िन्दगी में शायद हमें ये ज्यादा दिन