क्या आपके हाथों में भी है खंजर ?
आज हम सभी के हाथों में एक खंजर है, जो हमारे भविष्य और अतीत दोनों का ही अपराधी बनता जा रहा है। यह खंजर आपके दिमाग के साथ खेलकर आपको अपने मुताबिक़ काम करवाता है। लेकिन यह जानते हुए भी हम उस खंजर नुमा हथियार को अपनी ज़िन्दगी का एक अहम् हिस्सा मान चुके हैं। आप सोच रहे होंगे कि आखिर मैं किस बारे में बात कर रही हूँ। आखिरकार वो क्या है जो हमारे भविष्य और वर्तमान दोनों के ही साथ खिलवाड़ कर रहा है? मैं उसी खंजर की बात कर रही हूँ जिसे आज सभी "अपना फ़ोन" कहकर पुकारते हैं।
आज के विषय की ओर बढ़ने से पहले मैं
आपसे कुछ सवाल करना चाहूंगी। आप अपने दिन के कितने घंटे बिना फोन को छुए रह सकते
हैं? फोन आपके लिए क्या है?
क्या अगर आपकी नज़रों से कुछ वक्त के लिए
फोन गायब हो जाए तो आपको एंजायटी जैसी परेशानियां नहीं होतीं? आप में से 100 प्रतिशत लोगों में से
90 का यही कहना होगा कि हम फोन के बिना एक दिन भी नहीं रह सकते!
शायद कुछ ये भी कहें कि आज जो हम यह आर्टिकल पढ़ रहे हैं, वह भी तो फोन के
माध्यम से ही हो पा रहा है।
आज जो मैंने आपसे सवाल किए हैं, उनमें से अधिकतर
लोगों का जवाब एक जैसा ही होगा। लेकिन यहाँ बात खत्म नहीं होती, बल्कि यहीं से एक
सवाल उत्पन्न होता है: क्यों सबके विचार इन सवालों को लेकर एक जैसे हो रहे हैं? हम क्यों एक दूसरे से
भिन्न नहीं हैं? इसमें आपकी कोई गलती नहीं है क्योंकि यह सवाल जिसपर पूछा गया
है, उसी विषैली वस्तु ने आपके सोचने और समझने की शक्ति को ही
नियंत्रित कर लिया है। फोन आज हमें एक रिमोट की तरह इस्तेमाल कर रहा है और हम उसके
इशारे पर कठपुतली की तरह नाचते जा रहे हैं।
भारत की बात करें तो यहाँ 31 जुलाई 1995 में
फोन लॉन्च हुआ था, जिसके बाद आज कुल आबादी के 78%
लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें 60 करोड़ लोग स्मार्टफोन
का उपयोग करते हैं। सिर्फ 29 सालों के अंदर ही भारत के हर कोने में फोन की सुविधाएं मिलने
लगीं, और यह संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इन आंकड़ों को
देखा जाए तो कुछ ही सालों में भारत के सभी लोगों के पास फोन हो जाएगा। जिस तरह से
यह आंकड़ा बढ़ रहा है, उसी तरह फोन से बढ़ने वाली परेशानियाँ भी बढ़ रही हैं। शायद कई
लोग इस बात को अनसुना कर दें, लेकिन सच यह है कि फोन हमें दिन प्रतिदिन अंदर ही अंदर निगलता
जा रहा है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, एक व्यक्ति दिन में
लगभग 2,600 बार अपने मोबाइल फोन को छूता है। फोन और सोशल मीडिया की लत को
ड्रग और सिगरेट की लत जैसा माना जा सकता है। जब हमें यह नहीं मिलता, तो हमें बेचैनी, तनाव और एंजायटी जैसी
समस्याएं होने लगती हैं। क्योंकि हमारा मस्तिष्क ऐसे वक्त में डोपामाइन छोड़ता है, जिससे हमें खुशी और
संतुष्टि महसूस होती है। इसलिए, जब हम अपने फोन से दूर होते हैं,
तो हम घबराए और असुविधाजनक महसूस करते
हैं।
आज हम परिवार वालों के साथ समय बिताने
के बजाय फोन के माध्यम से एंटरटेन होना ज्यादा सही समझते हैं। फोन सिर्फ बीमारियां
ही नहीं लाता, बल्कि हमारे सोचने और समझने की शक्ति को भी कम कर देता है। इस
खंजर के चक्कर में न हम खुद को समय दे पाते हैं और न ही बाहरी दुनिया को समझ पाते
हैं। फोन को आसान भाषा में कहा जाए तो यह सिर्फ एक बीमारी है। हालांकि फोन ने भले
ही हमारी जिंदगी आसान कर दी हो, लेकिन हमारे मन को अंदर ही अंदर खोखला कर रहा है।
ये
हैं फोन से होने वाले घातक नुकसान और डरावने तथ्य:
- डिप्रेशन और एंजायटी:
फोन के अत्यधिक उपयोग से मानसिक
स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। सोशल मीडिया पर दूसरों की झूठी चमक-दमक
देखकर लोग उदास और चिंता में डूब जाते हैं।
- नींद की कमी:
फोन की नीली रोशनी से नींद में
बाधा आती है। एक रिपोर्ट के अनुसार,
44% लोग सोने से पहले अपने फोन का
उपयोग करते हैं, जिससे उनकी नींद की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
- आंखों की समस्याएं:
फोन की स्क्रीन लगातार देखने से
आंखों में जलन, सूखापन और आंखों की रोशनी कम होने लगती है, जिसके चलते आप
जल्द ही अंधापन का शिकार हो जाते हैं।
- सोशल आइसोलेशन:
फोन के जंयादा इस्तेमाल से हमारे सामाजिक
जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। लोग वास्तविक संबंधों को छोड़कर वर्चुअल
दुनिया में खो जाते हैं।
- सड़क दुर्घटनाएं:
फोन का उपयोग करते समय ड्राइविंग
करने से सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। हर साल हजारों लोग इसकी वजह से
अपनी जान गंवाते हैं।
- शारीरिक स्वास्थ्य:
लगातार फोन का उपयोग करने से गर्दन
और पीठ दर्द, मोटापा, और अंगुलियों में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- समय की बर्बादी:
औसत व्यक्ति अपने फोन पर दिन में
लगभग 3 घंटे बिताता है,
जिससे महत्वपूर्ण कामों के लिए समय
नहीं बचता। कोरोना के समय यह आंकड़ा 7 घंटे था।
- डिजिटल डिटॉक्स की आवश्यकता: लगातार
फोन का उपयोग करने वालों को डिजिटल डिटॉक्स यानि फोन से दूर रहने की सलाह दी
जाती है, जिसे कर पाना शायद आज मुश्किल है, क्योंकि लोगो को बुरी तरह से इसकी
आदत लग चुकी है।
- साइबर बुलिंग:
सोशल मीडिया पर साइबर बुलिंग के
मामले बढ़ रहे हैं, जिससे लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा
है।
- निजता का हनन:
फोन के माध्यम से हमारी निजी
जानकारी लीक होने का खतरा रहता है,
जिससे गोपनीयता पर संकट आता है,
यही नहीं अब तक भारत में इसके कई
मामले आ चुके हैं, जिसमें कई लोगो ने इससे निपटने का गलत रास्ता यानि
आत्महत्या करना की कोशिश की है ।
फोन का यह खंजर हमें दिन-रात अपने
इशारों पर नचा रहा है। हमें इसकी लत से बचकर एक संतुलित जीवन जीने की कोशिश करनी
चाहिए। अपने जीवन को फोन के चंगुल से बाहर निकालकर असली दुनिया की खुशियों का
अनुभव करें।
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