पक्ष-विपक्ष की राजनीति में क्यों फसे आम जनता?
आज राजनीति की इस रेस में, अगर एक पार्टी कुछ वादा करती है,
तो विपक्ष उसे झूठा ठहराने में कोई कसर
नहीं छोड़ता और खुद उसी वादे पर बोलियां लगाने लग जाता है। राजनीति के ये ठेकेदार
आज ऐसे-ऐसे वादे करते हैं जैसे वे सब्जी के भाव में ठगी कर रहे हों। आज जनता को
खुद से जोड़ने के लिए नेतागण कभी धर्म के नाम पर पुल बनाते हैं, तो कभी 'फ्री' की बिना गारंटी वाले सामानों का लालच
दिखाते हैं। हमारी मासूम जनता इन जालों में फसते-फसते सालों गुज़ार लेती है और अंत
में यही कहती है, "ये
नेता खुद का घर चमकाने में लगे हैं, हमारी तो इन्हें कोई फिक्र ही नहीं।" लेकिन क्या आपने कभी
सोचा है कि हमें किसी को वोट क्यों देना चाहिए, अगर वो सिर्फ चुनाव के वक्त ही अपना
चेहरा दिखाते हैं?
क्या जनता की मांगे पूरी करती है सरकार?
चुनाव से पहले हमारे मन में कई सवाल
उमड़ते हैं कि किसे वोट दें और हमारी मांगे कौन पूरी करेगा? ये सवाल इसलिए उठते हैं क्योंकि हम
सालों से फरेबी की राजनीति ही देख रहे हैं। आम जनता एक नेता से अपने क्षेत्र के
विकास की उम्मीद करती है और ये नेतागण ऐसा वादा भी करते हैं, लेकिन अपने वादों पर खरे नहीं उतरते।
इन्हीं विचारों से उलझकर हम अपना वोट डालने का मन बदल लेते हैं और अंत में अपना मत
यूं ही व्यर्थ कर देते हैं।
हमें वोट क्यों देना चाहिए?
अगर आपके मन में कभी यह विचार आए कि
हमारे एक वोट से देश के लोकतंत्र में क्या बदलाव आ जाएगा, तो आपको यह जानना चाहिए कि वोट देना
हमारे एक लोकतांत्रिक अधिकार का हिस्सा है। हमारा एक-एक वोट यह तय करता है कि
हमारे देश का प्रतिनिधित्व कौन करेगा, और हमारे देश का दायित्व किसके हाथों में जाएगा। इस अधिकार में
हर नागरिक को समान अवसर मिलता है, चाहे
उनकी जाति, धर्म, या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। वोट देने
से हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हमारे पास भी देश के भविष्य पर प्रभाव डालने का
अधिकार है। मतदान करना न केवल एक अधिकार है, बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी भी है। यह
हमें अपने समाज और देश की बेहतरी के लिए सक्रिय भूमिका निभाने की प्रेरणा देता है।
वोट देकर हम अपने और आने वाली पीढ़ियों के लिए सही नेतृत्व का चुनाव करते हैं। सही
उम्मीदवार का चयन हमारी सामाजिक, आर्थिक
और राजनीतिक स्थिति को सुधार सकता है।
किसे दें वोट?
किसी भी उम्मीदवार को वोट देने से पहले
हमें कई छोटी-से-छोटी बातों का ध्यान रखना चाहिए, मुख्य रूप से आप निम्नलिखित बिंदुओं पर
ध्यान दे सकते हैं:
हमारे देश में हर एक
व्यक्ति के वोट की अहमियत है, अपना एक मत यूं ही ज़ाया न जाने दें।
हमारे देश की कुल आबादी 145 करोड़ से भी ज्यादा है, यानी विश्वभर में भारतीय लोगों का
प्रतिशत 17.78% है।
साथ ही हैरान करने वाली बात यह है कि भारत की 96.88 करोड़ आबादी वोट डालने के लिए समर्थ है,
लेकिन 32 करोड़ से ज्यादा के युवा वोट नहीं
डालते। इसके पीछे कई कारण हैं। कुछ में सूचना की कमी है, तो कुछ युवाओं के अपने फैसले हैं।
ज्यादातर युवाओं से पूछा जाए कि वे वोट क्यों नहीं डालना चाहते, तो वे एक ही उत्तर देते
हैं—"राजनीति में उलझना नहीं है।"
-निकिता मिश्रा
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