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Will India Become a Developed Nation by 2047?

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What is a developed country? And why is it important for a nation to be developed? The answer lies in ensuring that the basic needs of its citizens are met, where no one has to struggle with financial hardships. The vision of a developed nation is one where the basic needs of every citizen are fulfilled, where people don't have to struggle with financial insecurities, and where access to essential services like healthcare, education, and infrastructure is a given. A developed nation doesn’t necessarily mean that everyone is wealthy, but rather that everyone has a chance to live a life of dignity. India is steadily advancing towards this goal, addressing these different facets of development. India gained independence 78 years ago, and Prime Minister Narendra Modi has set a bold ambition: by 2047, when India celebrates 100 years of independence, the country will join the ranks of developed nations. But is this goal achievable in just 13 more years? The answer may very well be &quo

इस देश में जेल से फरार होकर आराम से घूमते हैं कैदी ! सरकार को नहीं होती टेंशन

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आज के समय में बढ़ते अपराधों के साथ ही हर देश में जेलों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। विशेष रूप से भारत में, जहां अगर कोई कैदी फरार हो जाए, तो पूरी पुलिस उसे पकड़ने में जुट जाती है। जेलों की सख्त सुरक्षा का उद्देश्य यही होता है कि कोई भी अपराधी कानून के शिकंजे से बच न सके। कई देशों में, अगर कोई व्यक्ति भागे हुए अपराधी को छुपाता है, तो उसे भी कड़ी सजा मिलती है। दुनियाभर में करीब 11.5 मिलियन लोग किसी न किसी अपराध के कारण जेल की सजा काट रहे हैं। वहीं, कुछ देशों में अपराध दर कम होने के चलते जेलें बंद हो रही हैं, जबकि कुछ देशों में अपराध की दर लगातार बढ़ रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा देश भी है, जहां जेल से भागने के बाद अपराधी आम नागरिक की तरह जीवन जी सकते हैं, और सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं होती? सरकार की माफी जर्मनी में, हजारों अपराधी जेलों में बंद होते हुए भी अगर भाग जाते हैं, तो बिना किसी चिंता के सड़कों पर घूम सकते हैं। उन्हें अपराधी भी नहीं माना जाता। जर्मनी की सरकार का मानना है कि स्वतंत्रता हर व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है, और यही वजह है कि जेल से भागने की कोशिश करने वा

चाहते हैं विदेश घूमना ? तो करलें Bag Pack और घूम आएं यहां, नहीं दिखाना पड़ेगा भारतीय Visa

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विदेश   घूमना कोई क्यों नहीं चाहेगा !  जब भी हम बाहरी देशों की खूबसूरती देखते हैं तो कहीं न कहीं एक बार हमारा दिल यह ज़रूर कहता है कि काश यहां एक बार जानें का मौका मिल जाए और यह सब सोचते हुए हमारे मन में   वीजा और पासपोर्ट की बाते भी आने लगती है। लेकिन क्या हो जब आपके पास यह सारे Document   हो ही न ?   तो क्या   वीजा , पासपोर्ट के चक्कर में   आप विदेश जानें की   इच्छा को दबा लेंगे   ?  नहीं !  क्योंकि अब आपके सपनों की यात्रा के बीच किसी कागज़ात की ज़रूरत नहीं। जिन देशों के बारे में आज मैं आपको बताने वाली हूं वहां होने वाले खर्चों के बारे में भी बिलकुल न सोचे , क्योंकि ये देश न केवल वीज़ा मुक्त है बल्कि यहां भारतीय रूपयों की भी काफी मान्यताएं हैं। तो इंतजार किस बात का ?  चलिए जान लें उन देशों के नाम जहां की खूबसूरती का नजारा आप   बिना किसी वीज़ा दिखाए उठा सकते हैं।                   मॉरीशस ( Mauritius) मॉरीशस , जिसका नज़ारा किसी जन्नत से कम नहीं है, यह इतनी खूबसूरत जगह है कि आपका यहां ज़िन्दगी भर रहने का मन करेगा। मॉरीशस की सुंदरता में चार-चांद लगाते हैं इसके हरे-भरे उंचे पहाड़ और आसम

सुन्दरता एक खोखली दिवार

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"सुंदरता" शब्द मात्र नहीं है, यह आज की दुनिया में लोगों की ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है। हम सभी, चाहे अनजाने में ही सही, सुंदर दिखने और दूसरों को सुंदर नजर आने के लिए अनेक चीज़ों का सामना करने को तैयार हो जाते हैं। अगर आज किसी से पूछा जाए कि जीवनसाथी में क्या चाहिए, तो अधिकतर लोग यही कहेंगे कि हमें एक सुंदर जीवनसाथी चाहिए। सोशल मीडिया के इस दौर में सुंदरता की परिभाषा ही बदल गई है। अगर आप मोटे हैं या आपका रंग गहरा है, तो समाज आपको सुंदर मानने से इंकार कर देता है। यह मैं नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन वीडियोस बताते हैं। इंस्टाग्राम पर स्क्रॉल करते हुए आपने भी शायद कई बार ऐसे वीडियो देखे होंगे, जो यह दिखाते हैं कि आपकी ज़िंदगी गोरा रंग और अच्छी बॉडी हासिल करने के बाद ही बदल सकती है। लेकिन क्या सच में सुंदरता का यही मतलब है? या इससे भी भयानक कुछ और है?  आज हम ऐसे ऐप्स का उपयोग करने लगे हैं, जो हमें वर्चुअल मेकअप के जाल में फंसा रहे हैं। कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स और कॉस्मेटिक्स की दुकानें भी हमें गोरा बनाने का खोखला सपना बेच रही हैं। इन सबका नतीजा यह

काश मैं उस वक्त समझ जाती

काश मैं उस वक्त समझ जाती - ये पंक्ति आपने कई बार लोगों के मुंह से सुनी होगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सही वक्त पर सही बात समझना इतना मुश्किल क्यों होता है ? बचपन से लेकर अब तक मैंने लोगों को सड़कों पर प्रदर्शन करते देखा है — चाहे वो निर्भया केस हो या कोलकाता रेप केस में। लोग पहले भी सड़क पर उतरे थे , आज भी उतर रहे हैं , और शायद आगे भी ये सिलसिला चलता रहेगा। हमारे देश में हर दिन कोई न कोई बेटी उन दरिंदों की हवस का शिकार बनती है , जो अपने अंदर की आग को शांत करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। अखबार के पन्नों पर बलात्कार के आंकड़े देखना आसान हो सकता है , लेकिन उन बलात्कारियों को सजा दिलवाना शायद सरकार के लिए उतना ही मुश्किल हो जाता है। हमारे देश में न जाने कितने केस ऐसे हैं जो दबे पड़े हैं , जहां महिलाएं हर दिन उत्पीड़न का सामना करती हैं , लेकिन समझ ही नहीं पातीं कि उनके साथ क्या हो रहा है। आज जब किसी महिला के साथ हुए हादसे के बारे में हम सुनते हैं , तो अपने गुस्से को सोशल मीडिया पर पोस्ट या वीडियो डालकर अपना विरोध जताते हैं , लेकिन असल ज़िन्दगी में शायद हमें ये ज्यादा दिन

क्या आपके हाथों में भी है खंजर ?

आज हम सभी के हाथों में एक खंजर है , जो हमारे भविष्य और अतीत दोनों का ही अपराधी बनता जा रहा है। यह खंजर आपके दिमाग के साथ खेलकर आपको अपने मुताबिक़ काम करवाता है। लेकिन यह जानते हुए भी हम उस खंजर नुमा हथियार को अपनी ज़िन्दगी का एक अहम् हिस्सा मान चुके हैं। आप सोच रहे होंगे कि आखिर मैं किस बारे में बात कर रही हूँ। आखिरकार वो क्या है जो हमारे भविष्य और वर्तमान दोनों के ही साथ खिलवाड़ कर रहा है ? मैं उसी खंजर की बात कर रही हूँ जिसे आज सभी "अपना फ़ोन" कहकर पुकारते हैं। आज के विषय की ओर बढ़ने से पहले मैं आपसे कुछ सवाल करना चाहूंगी। आप अपने दिन के कितने घंटे बिना फोन को छुए रह सकते हैं ? फोन आपके लिए क्या है ? क्या अगर आपकी नज़रों से कुछ वक्त के लिए फोन गायब हो जाए तो आपको एंजायटी जैसी परेशानियां नहीं होतीं ? आप में से 100 प्रतिशत लोगों में से 90 का यही कहना होगा कि हम फोन के बिना एक दिन भी नहीं रह सकते! शायद कुछ ये भी कहें कि आज जो हम यह आर्टिकल पढ़ रहे हैं , वह भी तो फोन के माध्यम से ही हो पा रहा है। आज जो मैंने आपसे सवाल किए हैं , उनमें से अधिकतर लोगों का जवाब एक जैसा ही होगा। लेकिन

कहानी हर घर की एक जैसी नहीं होती !

कहानी हर घर की एक जैसी नहीं होती! यह एक कथन खुद में ही एक पूरा सवाल है। किसी के घर में सपनों को पंख दिए जाते हैं , तो वहीं कुछ घर ऐसे भी हैं जहां सपने बुनने का भी हक़ नहीं होता। कुछ ऐसी ही कहानी है मेरी दोस्त कंचन (परिवर्तित नाम) की , जिसके सपने तो बहुत थे , लेकिन उन सपनों को पूरा करने की इजाज़त नहीं थी। यह कहानी लगभग 10 साल पहले की है , जब हम दोनों 11 साल के थे। मुझे कभी भी स्कूल जाने की ख़ुशी नहीं रहती थी , लेकिन कंचन के लिए स्कूल जाना एक सपना था। उसे लगता था कि स्कूल ही एक ऐसी जगह हैं जहां वो अपने सपनों को साकार कर सकती है ।   कंचन हमेशा स्कूल का वह बड़ा बैग लेकर आती थी , जिसमें किताबों से ज़्यादा दिन के समय   लौटते हुए घर के राशन की लिस्ट ही हुआ करती थी , और मैं जिसे न सोने से फुरस़त था और न ही खाने से। इतना ही नहीं , बल्कि मेरे स्कूल के बैग में ज्यादातर वह 5 रुपए वाले कुरकुरे और चिप्स ही रहते थे , जिन्हें मैं कक्षा में बैठकर छुपके से कंचन को भी खिलाती और उसका पढ़ाई से ध्यान भटकाती थी। एक दिन स्कूल में गर्मियों की छुट्टियां पड़ गयी और मैं फिरसे हमेशा की तरह सुबह शाम बिस्तर पर सोने ल